बच्चों से लेकर वृद्ध तक के आंतों में सामान्यतः कृमि ( कीड़े ) पाये जाते हैं। बच्चों से लेकर 90 साल तक के वृद्धों में कृमि (कीड़े ) पाये जाते हैं। कृमियों के कारण पेट और आंतो में कई बीमारियां होने का कारण होता है । हमारे पेट के कीड़े परजीवी होते हैं,जो हमारे भोजन पर निर्भर रहते हैं। ये कृमि अपनी संख्या को बढ़ाकर हमारे शरीर को नुकसान पहुँचाते हैं । ये परजीवी किसी भी आकार के हो सकते हैं।
आमतौर से आंतो के कृमि कई प्रकार के होते हैं।
जैसे - व्हिपवर्म ( Whip worm ), गिर्डिएसिस, टेपवर्म्स tape worms, थ्रेडवर्म्स(फीता कृमि), पिनवर्म्स, राउंडवर्म्स इत्यादि|
पेट में कीड़े होने के कारण (Causes for intestinal Worms)
कृमि संक्रमण के लक्षण ( Signs of Worms )
घरेलू उपचार
कृमि नाशक औषधियाँ
कृमिध्न चूर्ण- इस चूर्ण का सेवन करने से दो घण्टा पूर्व लगभग बीस ग्राम गुड़ खा लेना चाहिये जिससे सभी कीड़े एक जगह इकट्ठे हो जाये उसके बाद इस चूर्ण का सेवन पाँच ग्राम की मात्रा से सुबह -शाम गुनगुने पानी से लें ।
वायविडंग अर्क - बीस एम एल (20 ml) से पचास एम एल (50 ml) तक दिन में दो बार दें ।
कृमिघातिनी गुटिका - कृमिघातिनी गुटिका को बच्चों में एक चौथाई से आधी गोली तथा वयस्क एक गोली सुबह -शाम शहद से लें। आयुर्वेदानुसार कृमियों के बीस जातियाँ बताई गयी है । इस औषधि के सेवन से बीस प्रकार के कृमि रोग ठीक होते हैं ।
रोक थाम
जैसे - व्हिपवर्म ( Whip worm ), गिर्डिएसिस, टेपवर्म्स tape worms, थ्रेडवर्म्स(फीता कृमि), पिनवर्म्स, राउंडवर्म्स इत्यादि|
पेट में कीड़े होने के कारण (Causes for intestinal Worms)
अशुद्ध जल,संक्रमित जल, संक्रमित स्वीमिंग पुल का पानी , संक्रमित नदी, तालाब या नहर का जल, अधपका खाना, अच्छे से न पका गोस्त, खुले में मल, बिना धुला फल खाना, छोटे बच्चों का मिट्टी खाना, दूषित भोजन ।
कृमि संक्रमण के लक्षण ( Signs of Worms )
- बच्चों में सोते समय दाँत पीसना या किटकिटाना
- भोजन में अरुचि
- ज्यादा भूख लगना
- होठ सफ़ेद होना
- कब्ज का होना खाने के बाद मल त्यागने की इच्छा
- रात में बच्चों की गुदा में खुजली
- थकान का होना
- वजन का गिरना
- पेट दर्द
- दस्त
- जी घबराना
- उल्टी
- जलन
- अपच
- गैस कमजोरी
- त्वचा रोग
- एलर्जी
- बेचैनी
- आलस्य और सांस फूलना
- नींद में मुंह से लार बहना
- नाक-मुंह में खुजली
- शरीर में पित्ती उछलना
पेट के कीड़े का उपचार
घरेलू उपचार
- बच्चों में कृमि को साफ करने के लिए प्याज को पीसकर उसे निचोड़ लें इसे सुबह खाली पेट बच्चों को दें
- करेले के रस का सेवन लगातार तीन से पाँच दिन तक करने से पेट के कृमियों (कीड़े ) का नाश होता है
- अजवाइन को पीसकर बारीक़ चूर्ण बना ले तथा सममात्रा में गुड़ मिलाकर छोटी -छोटी गोली बनाकर दिन में तीन से चार बार सेवन करें ।
- नीम के पत्ते का रस और शहद सममात्रा में मिलाकर एक चाय के चम्मच से प्रातः और शाम को लें ।
- वायविडंग और अजवाइन का समभाग में लेकर चूर्ण बनायें । सुबह खाली पेट गुड़ खाकर पन्द्रह से बीस मिनट रुकें जिससे आंतो में सारे कीड़े एक जगह एकत्रित हो जाये उसके पश्चात् दो चाय के चम्मच से अजवाइन वायविडंग गुनगुने पानी से चूर्ण लें ।
- सहजन की फली की सब्जी खाने से पेट में कीड़े नहीं होते।
आयुर्वेदिक उपचार
नीचे दी गयी औषधियाँ वैद्य के निर्देशन में प्रयोग करें ।
कृमि नाशक औषधियाँ
कृमिध्न चूर्ण- इस चूर्ण का सेवन करने से दो घण्टा पूर्व लगभग बीस ग्राम गुड़ खा लेना चाहिये जिससे सभी कीड़े एक जगह इकट्ठे हो जाये उसके बाद इस चूर्ण का सेवन पाँच ग्राम की मात्रा से सुबह -शाम गुनगुने पानी से लें ।
वायविडंग अर्क - बीस एम एल (20 ml) से पचास एम एल (50 ml) तक दिन में दो बार दें ।
कृमिघातिनी गुटिका - कृमिघातिनी गुटिका को बच्चों में एक चौथाई से आधी गोली तथा वयस्क एक गोली सुबह -शाम शहद से लें। आयुर्वेदानुसार कृमियों के बीस जातियाँ बताई गयी है । इस औषधि के सेवन से बीस प्रकार के कृमि रोग ठीक होते हैं ।
कृमिकुठार रस या विडंगरस ये सभी उपरोक्त औषधियाँ आयुर्वेद चिकित्सक के निर्देशन में प्रयोग करें ।
रोक थाम
- कुछ खाने से पहले साबुन से अच्छी तरह हाथ धुलें ।
- मल त्यागने के बाद साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह साफ करें ।
- स्वच्छ जल का सेवन करें जैसे - गहरे समर सेबुल का पानी (भू स्रोत जल ) पानी अगर गन्दा हो तो उबालकर छानकर या फिटकिरी से साफ कर बोतल बन्द पानी या आर ओ (RO) मिनिरल वाटर
वैद्य अंजनी कुमार 'कमलेश'
बी० ए० एम० एस० (आयुर्वेदाचार्य )
डी० ए० एम० एस० (आयुर्वेद शास्त्री )
आयुर्वेद रत्न, योगशिरोमणि
दूरभाष: 98386-79791
ईमेल: anjanikkamlesh@hotmail.com
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Dr. Anjani Kumar Kamlesh
B.A.M.S. (Ayurvedacharya)
D.A.M.S. (Ayurved Shastri)
Ayurved Ratna, Yogshiromani
Phone: 98386-79791
email: anjanikkamlesh@hotmail.com
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