इस परम्परा के पीछे क्या है गुड़िया पीटने का अनोखा रहस्य, इसके पीछे का रहस्य इस्त्रियों से जुड़ा हुआ है। हम ये कहानियाँ बड़े बुजुर्गों के मुँह से कभी न कभी जरूर सुने होंगे।
कहानी (1)
किसी नगर में एक खुशहाल परिवार में भाई -बहन रहते थे। दोनों में अत्यंत प्रेम था। भाई भोलेनाथ का परम भक्त था। वह हर सोमवार को भोलेनाथ के मन्दिर अवश्य जाता था।कुछ समय बाद उसे नाग देवता के दर्शन हुए। वह नाग देवता का दर्शन पाकर अत्यन्त ही प्रसन्न हुआ। प्रसन्नता में बहन को इस बारे में बताना ही भूल गया।
नाग दर्शन के बाद से तो वह हर रोज नागदेवता को दूध पिलाने लगा। अतः शनैः -शनैः दोनों एक दूसरे में अत्यंत प्रेम उत्पन्न हो गया। लड़का बिना नाग को दूध पिलाये एक अन्न दाना मुँह में नहीं डालता था, और नागदेवता भी लड़के को देख अपनी नागमणि छोड़ उसके पैर में लिपट जाता था।
इसी तरह दिन महीने बीतते गये, सावन का महीना आया तथा भाई -बहन मंदिर गये, हमेशा की तरह लड़के को देख नाग अपनी मणि छोड़ लड़के के पैर में लिपट गया, यह देख लड़की बहुत डर गयी, उसने सोचा कि मेरे भाई को साँप लिपटकर काट रहा है और भाई के मना करने के बावजूद भी। भाई की जान बचाने के लिए लड़की ने साँप को पीट -पीट कर मार डाला।
इसके बाद जब भाई ने बहन को पूरी कहानी बतायी तो बहन जोर -जोर से रोने लगी और बोली इसकी सज़ा मुझे दो और मुझे भी मार डालो। परन्तु लोगों ने कहा कि ये गलती से हुआ है, इसलिए तुमको न मारकर कपड़े की गुड़िया बनाकर उसको पीटा जायेगा।
तब से नागपंचमी पर गुड़िया बनाकर उसको पीटने की परंपरा चली आ रही है।
कहानी (2)
किसी समय की बात है कि परीक्षित नाम के राजा की मौत तक्षक नाग के काटने से हुयी। बहुत समय बाद राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी के युवा और तक्षक नाग के चौथी पीढ़ी कन्या से विवाह हुआ।
(लड़कियों और औरतों के पेट में बहुत कम बात पचती है ) वह कन्या शादी कर ससुराल आयी। कुछ समय बाद कन्या ने अपनी सेविका से जिससे वह सखिवत व्यवहार करती थी वह अपना राज खोलते हुए बोली मैं तक्षक नाग की चौथी पीढ़ी की कन्या हूँ। परन्तु ये किसी से मत बोलना। परन्तु सेविका अनेको स्त्रियों से कह दी और ये बात धीरे -धीरे पुरे नगर में फैल गयी
तक्षक के राजा को इस बात से बहुत क्रोध आया और वह गुस्सा में नगर की सारी लड़कियों को चौराहे पर इकट्ठा कर कोड़ो से पिटवा -पिटवा कर मरवा दिया।
तभी से गुड़िया पीटने की परम्परा मनायी जाती है।
तक्षक नाग कौन ?
तक्षक आठ नागों में एक कश्यप का पुत्र तथा कद्रु के गर्भ से उत्पन्न हुआ था। तक्षक का राजा परीक्षित को काटने का ये उद्देश्य था कि, श्रृंगी ऋषि के श्राप से मुक्ति मिल सके।इन्हीं कारणों से पूरे संसार के साँपो का विनाश करने के लिए राजा जनमेजय ने क्रोधित होकर सर्प यज्ञ आरम्भ किया। जनमेजय ने पहले ही अपने ऋषियों को आज्ञा दे दी थी कि, तक्षक कहीं भी किसी के शरण में जाये और जो भी उसको शरण दे वो भी पाप का भागीदार होगा तथा तक्षक के साथ भस्म कर दिया जायेगा। तक्षक यह सब देख डर गया और भागते -भागते इन्द्र की शरण में पहुँचा।
परन्तु ऋत्विको के मंत्र उच्चारण से तक्षक के साथ -साथ इन्द्र भी खीचते चले जा रहे थे। यह सब देख इन्द्र भय भयभीत होने लगे और तक्षक को उसके भाग्य भरोसे छोड़ भाग निकले। तक्षक ऋत्विक मंत्रोच्चारण से अग्नि कुण्ड तक पहुँचा। तब तक्षक के प्राण बचाने आस्तिक आये और उसके प्राण की जनमेजय से प्रार्थना की, तब जाकर तक्षक के प्राण बचे।
अरुणिमा
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