पहेली
(१ )
उछले दौड़े कूदे दिनभर ,
यह दिखने में बड़ा ही नसुंदर ।
लेकिन नहीं ये भालू बन्दर ,
अपनी धुन में मस्त कलन्दर ।
इसके नाम में जोड़ा है रन ,
घर है इसके सुन्दर वन । ।
(२ )
आगे "त " है पीछे "त " है ,
इसको सबकुछ बड़ा पता है ।
नकल उतारे सुनकर वाणी ,
चुप -चुप सुने सभी की कहानी ।
नील गगन है इसको भये ,
चलना क्या उड़ना भी आये ,
पर पिंजड़ा न इसको भाये । ।
(३ )
न सीखा संगीत कहीं पर ,
न सीखा कोई गीत ।
लेकिन इसकी मीठी वाणी में,
भरा हुआ संगीत ।
सुबह -सुबह ये करे रियाज ,
मन को भाती इसकी आवाज । ।
(४ )
रंग बिरंगा बदन है इसका ,
कुदरत का वरदान मिला ।
इतनी सुन्दर पाकर भी ,
दो अक्षर का का नाम मिला । ।
( ५ )
राजा महाराजाओं के ये ,
कभी बहुत आया है काम ।
संदेशा इसने पहुँचाया ,
सुबह चाहा या थी शाम ,
बतलाओ तुम अब इसका नाम । ।
(६ )
आगे "प " है मध्य भी "प "
अन्त में इसके "ह " है ।
कीट पतंग नहीं ये भैया ,
न चूहा न बिल्ली है ,
वन पेड़ों पर रहता है ।
सुर में रहकर कुछ कहता । ।
( ७ )
नोच -नोच कर खाता माँस ,
जीव है दुनियां का ये खास ,
दो अक्षर का छोटा नाम ।
लेकिन इसका मोटा काम ,
उड़ता रहता सुबह से शाम । ।
(८ )
बादल सा आसमान में ,
घिरता फैलता जाये ।
कर लो कोशिश कितनी भी ,
हाथ से पकड़ में ना आये । ।
(९ )
आता तो वह रोज सुबह ,
पर शाम कोहै वह जाता ।
देखो सयाना है इतना ,
घर का पता न बताता । ।
(१० )
तीन पाँव की चम्पा रानी ,
रोज नहाने जाती हैं ।
स्वाद न जाने दाल भात का ,
कच्ची रोटी कहती हैं । ।
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