तुम्हे एक जन्तर देता हूँ । जब भी तुम्हे संदेह हो या तुम्हारा अहम् तुमपर हावी होने लगे, तो यह कसौटी आजमाने लगो।
जो सबसे गरीब और कमजोर आदमी देखा हो, उसकी शक्ल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो क़दम उठाने का विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा, क्या उससे उसे कुछ लाभ पहुँचेगा? क्या उससे वह अपने ही जीवन और भाग्य पर काबू रख सकेगा? यानि क्या उससे उन करोङो लोगों को स्वराज्य मिल सकेगा, जिनके पेट भूखे हैं और आत्मा अतृप्त है?
तब तुम देखोगे कि तुम्हारा संदेह मिट रहा है, और अहम् समाप्त होता जा रहा है।
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