नौ वर्षीय साक्षी अपने हाथों पर ठोड़ी टिकाये सोच की मुद्रा में बैठी थी । वह अभी -अभी अपने पड़ोसी की बेटी सान्वी की बर्थडे पार्टी से आई थी ।
साक्षी के पिता को यह बात अजीब लगी । उसके माता -पिता अपनी एकलौती बेटी को बहुत प्यार करते थे और उसका बहुत ध्यान रखते थे ।
"क्या तुमने हमारी साक्षी को डाट दिया है ?एनी ने अपनी पत्त्नी अरु से पूछा ।
"नहीं तो !पर तुम ऐसा क्यों पूछ रहर हो "?उन्होंने पति से पूछा ।
तो फिर पुरे दिन घर को सर पर उठाकर रखने वाली हमारी उत्साही बिटिया को क्या हो गया ?
मैं तो किचन में काम कर रही थी और मैंने ध्यान भी नहीं दिया ।पड़ोस में डॉक्टर साहब के यहाँ जन्मदिन की पार्टी में जाने के पहले तो वह ठीक थी ,
"क्या बात है साक्षी ?तुम ऐसे क्यों बैठी हो ?पिता जी ने नरमी से पूछा । साक्षी ने अपनी पिता जी की ओर देखा ।उसके चेहरे से स्पष्ट था कि कोई बात उसे परेशान कर रही है ।
साक्षी ने कहा , पिता जी आपको पता है ,सान्वी को बहुत सारे तोहफ़े मिले । बहुत सारी खिलौने की कारें ,गुड़िया और कपड़े ,एनी को सब समझ में आ गया ।
साक्षी मुझे अभी -अभी याद आया । क्या तुमने स्कूल में होने वाली गायन प्रतियोगिता के लिए अभ्यास किया ?एक बार मुझे सुनाओ । एक बार मेरे लिए गाओ ना !उन्होंने उसका ध्यान बताने के लिए विषय बदलने का प्रयास किया । साक्षी ने वह गाना गाया जो अपनी माँ से सिखा था । माँ ने उसे दो तीन बार टोककर सुर सही करवाया ।
अगले दिन जब शाम को एनी घर आये तो साक्षी उन्हें दरवाजे पर ही मिल गयी । उसने उन्हें वह किताब दिखाई जो उसने गायन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार के रूप में प्राप्त की थी । वह बेहद उत्साहित थी । एनी ने मुस्कुराकर उसकी ओर देखा और पूछा "साक्षी , तुम इस किताब के लिए इतनी उत्साहित क्यों हो ,जबकि इसकी कीमत भी कुछ अधिक नहीं है ?
आपको पता है कि निर्णायक महोदय ने कहा है कि मैं बड़ी होकर महान गायिका बनूँगी और मेरी बहुत प्रशंसा की ,इसलिए ,[ख़ुशी से समाती साक्षी ने कहा ]।
"इसका मतलब यह किताब तुम्हे तुम्हारे हुनर के लिए इनाम के तौर पर मिली है ?"
"मैं इसे अपने पास सम्हाल कर रखूँगी । पिताजी यह बात तो मैं बड़ी होकर भी नहीं भूल पाऊँगी !" साक्षी के आँखों में चमक थी ।
एनी ने उससे बात करते हुए उसके बालों को प्यार से सहलाते रहे , साक्षी ,क्या अब तुम्हे समझ में आया कि उपहार और इनाम में क्या फ़र्क है ? जो हमसे प्रेम करते हैं , वे हमें सप्रेम उपहार देते हैं । जबकि हम अपने कड़ी मेहनत और हुनर के बल पर ईनाम पाते हैं । दोनों से ही हमें प्रसन्नता होती है । लेकिन कड़ी मेहनत से जीती हुयी कोई चीज़ हमें आसानी से मिल जाने वाली चीज़ो की अपेक्षा बहुत कीमती होती है । मुझे उम्मीद है कि अब तुम इनमें अंतर समझ गयी होगी ।
साक्षी ने यह जताने के लिए अपना सर हिलाया कि वह समझ गयी है । उसने अपने तोहफ़े को कसकर गले लगाया और फिर उत्साह से उसे अपने दोस्तों को दिखने दौड़ गई ।