Thursday, June 23, 2016

गौरैया


घर के आँगन के पार
कहीं दूर बैठी
एक अकेली गौरैया ने
मुझसे पूछा
मुझको मारा क्यों?
घर की समृद्धि की प्रतीक
ओसारे के किसी कोने में
घोसला था मेरा
उसे उजाड़ा क्यों?
कर दिया वातावरण को
इतना प्रदूषित
कि दम घुटने लगा मेरा
तुम्हारे घर में
मर गये मेरे बच्चे और
मेरा जीवनसाथी
वहीँ दालान में तुम्हारे
मै बच गयी
क्योंकि मादा थी
सहना मेरा स्वभाव है
मगर कब तक?
तुमने प्रकृति का संतुलन
इतना बिगाड़ा क्यों?
एक अकेली गौरैया ने
मुझसे पूछा
मुझको मारा क्यों?

डॉ. श्रवण कुमार गुप्ता
असि.प्रोफ़ेसर हिन्दी डिपार्टमेंट,आ.न.दे.पी. जी.कॉलेज ,बभनान गोंडा(उ. प्र.)
जन्म स्थान- अमेठी
10 दिसम्बर 1980
शिक्षा- एम्.ए., बीएड.,नेट,डी.फिल.
काव्य संग्रह...प्रकाशन हेतु प्रेस में कवितायेँ