चन्दा मामा बीच- बीच में कहाँ चले तुम जाते हो?
कभी बड़े बन कर हो आते,
और कभी बन छोटे
घटते-बढ़ते रहते हरदम
लुक-छिप खेल दिखाते हो
दिन भर तो गायब रहते हो
रात गये तुम आते हो
चन्दा मामा बीच- बीच में कहाँ चले तुम जाते हो?
तारों के संग धमा-चौकड़ी
मामा खूब मचाते हो
पूरब से लेकर पश्चिम तक
लंबी दौड़ लगाते हो,
तारों पर हो रौब जमाते
पर सूरज से डरते हो,
सूरज दादा के आते ही
वहीँ-कहीं छिप जाते हो।
चन्दा मामा बीच- बीच में कहाँ चले तुम जाते हो?
हम बच्चों के प्यारे मामा
कभी उतर कर आओ ना,
हमको भी नीले अम्बर की कुछ बाते बतलाओ ना।
क्या खाते हो प्यारे मामा?
और कहाँ तुम सोते हो?
चन्दा मामा बीच- बीच में कहाँ चले तुम जाते हो?
डॉ.श्रवण (राज)