Tuesday, April 11, 2017

कभी यूँ ही चली आओ



कभी यूँ ही चली आओ,
मचल कर तुम हवाओ सी
कभी फूलों की खुशबू बन,
समा जाओ तन मन में।
कभी तुम रौशनी बनकर,
मुझको पथ दिखा देना।
कभी बारिश की बूंदों सी
बरसो मन के आँगन में।
     राज 21/10/2016

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